नई दिल्ली (ट्रेवल पोस्ट) Air Train : दिल्ली हवाई अड्डे पर जल्द ही भारत की पहली एयर ट्रेन या ऑटोमेटेड पीपल मूवर (APM) प्रणाली शुरू होगी, जो टर्मिनल 1, 2, 3, एयरोसिटी और कार्गो सिटी को जोड़ेगी. इससे यात्रियों को निर्बाध यात्रा उपलब्ध होगी और शटल बसों की आवश्यकता कम हो जाएगी. इस परियोजना के 2027 तक पूरा होने की उम्मीद है. ऑटोमेटेड पीपल मूवर (APM) के निर्माण के लिए टेंडर जारी किया है. यह APM सिस्टम T1 और T3/2 के बीच तेज, निर्बाध और सुरक्षित कनेक्टिविटी प्रदान करेगा. एपीएम को दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल 3 और T2 की एक तरफ और T1 की दूसरी तरफ के बीच चलाया जाएगा. एयर ट्रेन के चार स्टॉप होंगे – T2/3, T1, एरोसिटी और कार्गो सिटी. एयर ट्रेन के साल 2027 तक चलने की संभावना है. एयर ट्रेन ट्रैक की कुल लंबाई 7.7 किलोमीटर होगी.
यह भारत का पहला एयर ट्रेन प्रोजेक्ट है. चयन प्रक्रिया में बोलीदाता की लागत और राजस्व साझेदारी मॉडल या परियोजना के लिए वित्तीय सहायता की पेशकश को ध्यान में रखा जाएगा. एक अधिकारी ने बताया, “यदि सब कुछ योजना के अनुसार चलता है, तो इस वित्तीय वर्ष के अंत तक टेंडर दिया जा सकता है. परियोजना का निर्माण कार्य 2027 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.”
Air Train : 2000 करोड़ रुपये आ सकती है लागत
एक रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना की कुल लागत लगभग 2,000 करोड़ रुपये होगी. नागर विमानन मंत्रालय ने निर्देश दिया है कि परियोजना पूरी होने से पहले विकास शुल्क नहीं लिया जाएगा. डायल ने पहले एयर ट्रेन की जो योजना बनाई थी, उसमें छह स्टॉप थे. सरकार ने DIAL के इस प्रस्ताव को नहीं माना था क्योंकि इससे T1 और T2/3 के बीच यात्रा का समय बढ़ जाता.
फ्री होगी सुविधा
दुनिया भर में एयर ट्रेनें आमतौर पर यात्रियों के लिए नि:शुल्क होती हैं, लेकिन हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे की लागत एयरलाइनों से लैंडिंग और पार्किंग शुल्क के रूप में वसूल की जाती है, या उपयोगकर्ता विकास शुल्क (UDF) के जरिए वसूली की जाती है. ऐसे में माना जा रहा है कि आईजीआई एयरपोर्ट पर भी यात्रियों के लिए यह सेवा फ्री ही होगी. दिल्ली एयरपोर्ट पर एयर ट्रेन की आवश्यकता काफी समय से महसूस की जा रही है. इसका कारण है कि हवाई अड्डे पर 25% यात्री ट्रांजिट फ्लायर्स हैं, जिन्हे एक टर्मिनल से दूसरे टर्मिनल तक जाना पड़ता है.
