नई दिल्ली (ट्रेवल पोस्ट) Australia New Scheme : ऑस्ट्रेलिया में काम की तलाश में जाने वाले भारतीयों की संख्या लाखों में है। मगर हर किसी के लिए ऑस्ट्रेलिया का वर्क वीजा हासिल करना आसान नहीं होता है। हालांकि, कई सारे ऐसे भी ऑप्शन हैं, जिनके जरिए भारतीयों को नौकरी का चांस मिलता है। कुछ खास स्कीम तो सिर्फ भारतीय छात्रों के लिए चलाई जाती हैं, जिसके जरिए वे ऑस्ट्रेलिया जाकर नौकरी कर पाएं। ऐसी ही एक स्कीम MATES (Mobility Arrangement for Talented Early-professionals Scheme) है।
दरअसल, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रिश्ते काफी मजबूत हैं। दोनों ने 23 मई 2023 को MMPA (Migration and Mobility Partnership Arrangement) की शुरुआत की। इस समझौते का सबसे अहम हिस्सा MATES है। ये योजना उन भारतीय छात्रों के लिए नए रास्ते खोलती है, जो ऑस्ट्रेलिया में नौकरी करना चाहते हैं। MATES प्रोग्राम के तहत उन लोगों को ऑस्ट्रेलिया जाने का मौका मिलता है, जिनकी उम्र 30 साल या उससे कम है। आइए इस स्कीम के बारे में डिटेल से जानते हैं।
MATES प्रोग्राम की फायदेमंद बातें क्या हैं?
ऑस्ट्रेलिया में नौकरी के लिए चलाए जाने वाले MATES प्रोग्राम के तहत भारतीय छात्र दो साल तक ऑस्ट्रेलिया में रहकर काम कर सकते हैं। इसके जरिए उन्हें इंटरनेशनल वर्क एक्सपीरियंस हासिल करने का मौका मिलेगा। इस प्रोग्राम की सबसे अच्छी बात ये है कि इसके लिए अप्लाई करने के लिए छात्रों को किसी ऑस्ट्रेलियाई कंपनी से स्पांसरशिप की जरूरत नहीं पड़ती है। इससे ना सिर्फ एप्लिकेशन प्रोसेस आसान हो जाता है, बल्कि ये छात्रों को आसानी से अप्लाई करने का मौका भी देता है।
MATES प्रोग्राम के जरिए भारतीय छात्र अपनी पढ़ाई वाली फील्ड में काम कर सकते हैं। साथ ही साथ उनके पास दूसरे फील्ड में काम करने का भी ऑप्शन होता है। इसका मतलब है कि भारतीय छात्र अलग-अलग सेक्टर्स में काम कर सकते हैं, भले ही उसका उनके कोर्स से कोई संबंध नहीं हो। प्रोग्राम की इस बड़ी खासियत की वजह से भारतीय छात्रों को स्किल और प्रोफेशनल नेटवर्क में सुधार करने का मौका मिलता है।
Australia New Scheme : क्या है एलिजिबिलिटी क्राइटीरिया?
- आवेदक की उम्र 30 साल या उससे कम होनी चाहिए।
- आवेदक ने किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से दो साल के भीतर ग्रेजुएशन पूरी की हो।
- आवेदक को अंग्रेजी भाषा की जानकारी होनी चाहिए। IELTS टेस्ट में कम से कम 6 स्कोर ओवरऑल होना चाहिए।
- रिन्यूएबल एनर्जी, इंजीनियरिंग, इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कम से कम बैचलर डिग्री या उससे ऊपर की डिग्री होनी चाहिए।
ये शर्तें इसलिए रखी गई हैं, ताकि इस प्रोग्राम के तहत ऑस्ट्रेलिया आने वाले भारतीय छात्र देश की अर्थव्यवस्था में सुचारू रूप से योगदान दे पाएं। इन शर्तों की वजह से भारतीयों को ऑस्ट्रेलिया में अपना करियर बनाने के लिए जरूरी चीजें भी मिल पाएंगी।
कितने लोगों को मिलेगा वीजा?
MATES प्रोग्राम की शुरुआत इस साल के आखिर में की जाएगी। शुरुआती पायलट फेज में हर साल 3,000 भारतीय छात्रों को इस प्रोग्राम के जरिए ऑस्ट्रेलिया में जॉब करने का मौका मिलेगा। ये प्रोग्राम न केवल ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच बढ़ते रिश्तों को मजबूत करता है, बल्कि ऑस्ट्रेलिया को ऐसे स्किल इमिग्रेंट्स मुहैया कराता है, जो उसकी अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकते हैं। MATES प्रोग्राम के जरिए काम करने वाले भारतीयों को इंटरनेशनल एक्सपीरियंस मिलेगा, जो उन्हें दूसरे देशों में भी जॉब के काबिल बनाएगा।
