Now no trick will work, passport verification will be done with this new technology
पटना (ट्रैवल पोस्ट) Bihar Passport Verification – कुछ लोग गृह जिले में कोई मुकदमा दर्ज होने पर किसी और जिले से अप्लाई कर अलग-अलग तिकड़म लगाकर पासपोर्ट का सत्यापन भी करवा लेते हैं और पासपोर्ट बनवा भी लेते हैं।
बाद में ऐसे लोगों की जानकारी सामने आती है। इसके अलावा कुछ लोग नाम बदलकर भी पासपोर्ट बनवा लेते हैं। ऐसे लोगों पर अंकुश लगाने के लिए पासपोर्ट सत्यापन के लिए नई व्यवस्था की शुरुआत की गई है। इससे आवेदन किसी भी जिले से हो, अगर एक बार कहीं केस दर्ज हुआ तो तुरंत वेरिफाई हो जायेगा। इस खास तकनीक का नाम है सीसीटीएनएस यानी क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम। बिहार के तकरीबन सभी 1300 थानों में यह खास तकनीक काम करने लगी है।
कैसे काम करता है यह तकनीक
अपराध का रिकॉर्ड छिपाकर या फिर कोई तिकड़म लगाकर पासपोर्ट बनवाना नामुमकिन हो गया है। अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम एक ऐसा तकनीक है, जिससे पासपोर्ट के लिए आवेदन करने वालों का नाम और फोटो डालते ही इस सिस्टम माध्यम से यह पता चल पाएगा कि क्या व्यक्ति पर पहले से कोई मुकदमा है या नहीं।
किसी तरह की जांच चल रही है या नहीं, किसी तरह की आपराधिक गतिविधि में संलिप्तता पाई गई है या नहीं। इसको लेकर पुलिस मुख्यालय की ओर से सभा अधिकारियों को निर्देश जारी किया गया है।
बायोमीट्रिक रिकॉर्ड से भी होगी पहचान
इस खास तकनीक का उपयोग शुरू हो गया है। सभी अधिकारियों को पिछले दिनों ही ट्रेनिंग दी गई थी। अब बिहार के लगभग सभी जिलों को इस सिस्टम से जोड़ दिया गया है। इस नई तकनीक के जरिए यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ राज्य के किसी भी थाने में मुकदमा दर्ज है, तो इसकी जानकारी तुरंत उपलब्ध हो जाएगी।
भविष्य में जब अपराधियों का बायोमेट्रिक रिकॉर्ड भी इस सिस्टम में जोड़ा जाएगा, तो सत्यापन प्रक्रिया और भी आसान हो जाएगी। इससे संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान करने में अधिक सहूलियत होगी। एडीजी सुनील कुमार के अनुसार, CCTNS तकनीक न केवल व्यक्ति के नाम बल्कि पते, पिता के नाम और अन्य जानकारियों के आधार पर भी वेरिफिकेशन करने के कारगर है।
एम पासपोर्ट पुलिस ऐप भी है कारगर
बिहार पुलिस पहले से ही एम पासपोर्ट पुलिस ऐप का उपयोग कर रही है. इस ऐप के जरिए पासपोर्ट सत्यापन से जुड़े आवेदन अब सभी थानों में ऑनलाइन ही पहुंच जाते हैं. पहले सत्यापन के लिए आवेदन की कॉपी फिजिकल माध्यम से आती थी. इस वजह से ज्यादा समय लगता था. अब झट से आवेदन की कॉपी दिख जाती है और उसी से सत्यापन की फाइनल रिपोर्ट भी सबमिट हो जाती है. आपको बता दें बिहार पुलिस CCTNS के अलावा पुराने तरीके से वेरिफिकेशन जारी रखेगी।
