नई दिल्ली (ट्रैवल पोस्ट) : German Language For Students : 2020 में जर्मनी में लगभग 29 हज़ार भारतीय छात्र पढ़ रहे थे, जबकि 2025 तक यह संख्या बढ़कर करीब 60 हज़ार पहुँच गई है। पिछले पाँच वर्षों में हायर एजुकेशन के लिए जर्मनी भारतीय छात्रों के बीच तेजी से लोकप्रिय हुआ है। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे पारंपरिक विकल्पों की बजाय अब भारतीय विद्यार्थी जर्मनी में उच्च शिक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं। यहाँ अधिकतर छात्र इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, इकोनॉमिक्स और मैथ्स जैसे कोर्सेज में दाखिला लेते हैं।
जर्मनी की लोकप्रियता की दो मुख्य वजहें हैं—पहली, सरकारी विश्वविद्यालयों में लगभग ट्यूशन-फीस फ्री पढ़ाई; और दूसरी, अन्य पश्चिमी देशों की तुलना में काफी किफ़ायती शिक्षा लागत। यहाँ पढ़ाई करने पर लगभग 15 से 25 लाख रुपये खर्च होते हैं, जबकि अमेरिका, ब्रिटेन या ऑस्ट्रेलिया में यह खर्च कई गुना अधिक होता है।
हालाँकि, जर्मनी जाने वाले कई छात्र एक बड़ी गलती कर बैठते हैं—जर्मन भाषा न सीखना। बिना भाषा जाने वहाँ रोजमर्रा की ज़िंदगी, प्रशासनिक कामकाज और रोजगार के अवसरों में कठिनाई आती है।
जर्मन भाषा सीखना क्यों ज़रूरी है?
German Language For Students : भले ही मास्टर्स के कई प्रोग्राम अंग्रेज़ी में उपलब्ध हैं, लेकिन अब भी अधिकांश बैचलर्स कोर्स तथा कई स्पेशलाइज्ड मास्टर्स प्रोग्राम जर्मन में ही पढ़ाए जाते हैं। भाषा सीखकर जाने वाले छात्रों को बेहतर विश्वविद्यालयों और पसंदीदा कोर्स में प्रवेश मिलने की संभावना अधिक होती है।
जर्मनी के बड़े शहरों और कैंपस में अंग्रेज़ी बोली जाती है, लेकिन इन क्षेत्रों के बाहर लोगों से संवाद, सरकारी प्रक्रियाएँ, शॉपिंग, ट्रांसपोर्ट और स्थानीय जीवन पूरी तरह जर्मन पर निर्भर करते हैं।
इसके अलावा, अधिकतर जर्मन कंपनियाँ—खासकर मिड-साइज़ और छोटी कंपनियाँ—प्रोफेशनल नौकरियों के लिए उच्च स्तर की जर्मन भाषा योग्यता (आमतौर पर B2 या उससे अधिक) की मांग करती हैं। ऐसे में भाषा सीखना न सिर्फ पढ़ाई के लिए बल्कि करियर और लंबे समय तक वहाँ बसने की योजना के लिए भी अनिवार्य हो जाता है।











