India’s largest IT company is running a scam in the American visa system
नई दिल्ली (ट्रैवल पोस्ट) International News : भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) पर अमेरिकी वीजा सिस्टम के दुरुपयोग का आरोप लगा है। पूर्व कर्मचारी अनिल किनी और दो अन्य लोगों ने दावा किया है कि कंपनी ने L-1A वीजा का गलत इस्तेमाल किया, जिससे अमेरिकी नियमों की अनदेखी हुई।
क्या है मामला?
अनिल किनी, जो पहले TCS में आईटी मैनेजर थे, ने ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में बताया कि कंपनी के अधिकारियों ने उन्हें आंतरिक संगठनात्मक चार्ट में बदलाव करने का निर्देश दिया था। यह बदलाव इस तरह किया गया कि कंपनी में मैनेजरों की संख्या वास्तविक संख्या से ज्यादा दिखे। ऐसा इसलिए किया गया ताकि अमेरिकी अधिकारियों की जांच में कोई दिक्कत न आए और कंपनी ज्यादा से ज्यादा वीजा हासिल कर सके।
पूर्व कर्मचारियों ने कोर्ट में किया केस
किनी और दो अन्य पूर्व कर्मचारियों ने अमेरिकी False Claims Act के तहत मुकदमा दायर किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि TCS ने L-1A वीजा का गलत इस्तेमाल किया, जिसमें सिर्फ उच्च पदस्थ प्रबंधकों को अमेरिका भेजने की अनुमति होती है।
L-1A वीजा बनाम H-1B वीजा
H-1B वीजा के विपरीत, L-1A वीजा पाना आसान होता है और इस पर वेतन संबंधी कोई विशेष शर्तें लागू नहीं होतीं। पूर्व कर्मचारियों का दावा है कि TCS ने इसी का फायदा उठाया और बड़ी संख्या में वीजा हासिल किए। हालांकि, अदालत ने इन मामलों को ट्रायल से पहले ही खारिज कर दिया, लेकिन अनिल किनी का मामला अब भी अपील पर है।
ट्रम्प के बदले रुख से मामला गर्माया
डोनाल्ड ट्रम्प के 2017 में राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी सरकार ने अमेरिकी नौकरियों को बचाने के लिए विदेशी वीजा प्रणाली पर सख्ती दिखाई थी। हालांकि, अब ट्रम्प ने अपने रुख में बदलाव करते हुए कहा है कि उन्हें “हमेशा से इन वीजा पसंद थे।” उनके इस बयान से जहां टेक इंडस्ट्री में समर्थन मिला, वहीं उनके समर्थकों में नाराजगी देखी गई।
TCS ने किया आरोपों से इनकार
TCS ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि कंपनी अमेरिकी कानूनों का पूरी तरह पालन करती है और अदालत पहले ही इन दावों को खारिज कर चुकी है। हालांकि, रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले 10 सालों में L-1A वीजा के दुरुपयोग के करीब 200 मामले सामने आए हैं।
