SAF Policy : भारत में जल्द लागू होगी सतत विमानन ईंधन नीति, होगी अरबों रुपये की बचत

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नई दिल्ली (ट्रैवल पोस्ट) : SAF Policy : भारत में हवाई सफर तेजी से बढ़ रहा है और इसके साथ ही विमान ईंधन की खपत भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में सरकार अब सतत विमानन ईंधन (Sustainable Aviation Fuel – SAF) की नीति लाने जा रही है। इस कदम से न सिर्फ अरबों रुपये की बचत होगी, बल्कि लाखों नई हरित नौकरियां भी सृजित होंगी।

नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने बताया कि SAF के इस्तेमाल से भारत को हर साल कच्चे तेल के आयात पर 5 से 7 अरब डॉलर (लगभग 6 खरब रुपये) की बचत हो सकती है। इसके साथ ही करीब 10 लाख नई नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है, जो हरित ऊर्जा और टिकाऊ विकास की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा।

उन्होंने यह बातें इंडिया सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल समिट, जो FICCI और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सहयोग से आयोजित की गई थी, में कही। मंत्री ने बताया कि भारत के पास SAF उत्पादन में वैश्विक नेतृत्व करने की पूरी क्षमता है, क्योंकि देश हर साल 75 करोड़ टन से अधिक बायोमास उत्पन्न करता है। यही बायोमास सतत विमानन ईंधन का प्रमुख स्रोत बन सकता है।

SAF Policy : नायडू ने कहा कि भारत का विमानन क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था से भी तेज गति से बढ़ रहा है। यह क्षेत्र 6.7% की वार्षिक वृद्धि दर से आगे बढ़ रहा है और 2025 तक लगभग एक करोड़ यात्रियों के हवाई सफर करने की उम्मीद है। वहीं, 2030 तक विमानन टरबाइन ईंधन (ATF) की खपत 15-16 मिलियन टन और 2040 तक 30-31 मिलियन टन तक पहुंच सकती है।

SAF के उपयोग से विमानन क्षेत्र का कार्बन उत्सर्जन 80% तक घटाया जा सकता है। नागरिक उड्डयन महानिदेशक फैज अहमद किदवई ने कहा कि भारत का लक्ष्य 2030 तक 5% SAF मिश्रण हासिल करना है, जिससे देश पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत करेगा।

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