वॉशिंगटन (ट्रैवल पोस्ट) Threat of closure of H-1B visa : अमेरिका में H1B वीजा को लेकर बहस एक बार फिर तेज़ हो गई है। रिपब्लिकन सीनेटर माइक ली ने सोशल मीडिया पर H1B वीजा पर प्रतिबंध लगाने की संभावना जताते हुए सवाल उठाया है कि क्या अब इस कार्यक्रम को रोकने का समय आ गया है? यह बयान उस वक्त सामने आया जब एक पोस्ट में वॉलमार्ट के अधिकारी पर भारतीय H1B कर्मचारियों को तरजीह देने के बदले रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया। माइक ली की टिप्पणी ने इस मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ला दिया है, जिससे अमेरिका में विदेशी श्रमिकों को लेकर नीतिगत चर्चाएं और तीव्र हो गई हैं।
1990 में शुरू हुआ H1B वीजा अमेरिकी कंपनियों को विशिष्ट व्यवसायों में विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। यह वीजा तीन साल के लिए जारी होता है, जिसे अधिकतम छह साल तक बढ़ाया जा सकता है। हर साल अमेरिकी सरकार 65,000 H1B वीजा जारी करती है, जबकि 20,000 अतिरिक्त वीजा अमेरिकी विश्वविद्यालयों से मास्टर या Phd करने वालों को दिए जाते हैं। भारत लंबे समय से H1B वीजा कार्यक्रम का सबसे बड़ा लाभार्थी रहा है, विशेष रूप से IT और टेक्नोलॉजी पेशेवरों के लिए।
Threat of closure of H-1B visa : USCIS निदेशक का रुख और नए नियमों की संभावना
USCIS के नवनियुक्त निदेशक जोसेफ एडलो ने कहा है कि H1B वीजा का इस्तेमाल अमेरिकी अर्थव्यवस्था और कामगारों का पूरक बनने के लिए होना चाहिए न कि उनकी जगह लेने के लिए अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप प्रशासन H1B लॉटरी सिस्टम खत्म करने और वेतन-आधारित प्राथमिकता प्रणाली लागू करने पर विचार कर रहा है। इसका मतलब है कि उच्च वेतन पाने वाले कर्मचारियों को प्राथमिकता मिलेगी।
भारतीय पेशेवरों पर असर
H1B वीजा कार्यक्रम में सबसे बड़ा हिस्सा भारतीय आईटी और तकनीकी पेशेवरों का है। हर साल हजारों भारतीय इंजीनियर, डॉक्टर और शोधकर्ता अमेरिका H1B वीजा के माध्यम से जाते हैं। अगर नियम सख्त किए गए या रोक लगाई गई तो इसका सीधा असर भारत के आईटी सेक्टर और भारतीय टैलेंट पर पड़ेगा।













