नई दिल्ली (ट्रैवल पोस्ट) airplane working system : हवाई जहाज़ के हर हिस्से का एक विशेष रोल होता है, जो पूरे विमान को एक साथ काम करके उड़ने में सक्षम बनाता है। मुख्य रूप से, एक विमान पाँच बड़े हिस्सों से मिलकर बना होता है: पंख लिफ़्ट पैदा करके विमान को हवा में उठाते हैं, धड़ विमान का मुख्य शरीर है जो यात्रियों और सामान को रखता है, इंजन थ्रस्ट पैदा करके विमान को आगे धकेलता है, पूँछ विमान को स्थिरता और दिशा नियंत्रण देती है, और लैंडिंग गियर जमीन पर विमान को सहारा देता है।
निम्नलिखित तालिका विमान के प्रमुख हिस्सों और उनके कार्यों के बारे में विस्तार से बताती है:
| हिस्से का नाम (हिंदी) | हिस्से का नाम (अंग्रेज़ी) | मुख्य कार्य | विस्तृत विवरण |
|---|---|---|---|
| पंख | Wings | लिफ़्ट उत्पन्न करना | पंखों की विशेष एयरफॉइल आकार की बनावट हवा का दबाव अंतर पैदा करके विमान को ऊपर उठाती है। |
| धड़ / शरीर | Fuselage | मुख्य ढांचा एवं आवास | यह विमान का केंद्रीय भाग है जिसमें कॉकपिट (पायलट का केबिन), यात्री केबिन और कार्गो होल्ड होता है। |
| इंजन | Powerplant (Engine) | थ्रस्ट उत्पन्न करना | यह विमान को आगे बढ़ने की शक्ति देता है। इनमें पिस्टन, टर्बोप्रॉप, या जेट इंजन हो सकते हैं। |
| पूँछ | Empennage (Tail) | स्थिरता एवं दिशा नियंत्रण | इसमें ऊर्ध्वाधर स्टेबिलाइज़र (Vertical Stabilizer) और क्षैतिज स्टेबिलाइज़र (Horizontal Stabilizer) लगे होते हैं। |
| लैंडिंग गियर | Landing Gear | जमीन पर सहारा | इसमें पहिए, शॉक एब्जॉर्बर्स और ब्रैकिंग सिस्टम होते हैं जो टेकऑफ़ और लैंडिंग के दौरान झटके सहन करते हैं। |
✈️ उड़ान नियंत्रण कैसे काम करता है
पायलट विमान को तीन आयामों में नियंत्रित करता है: पिच (Pitch – नाक ऊपर-नीचे करना), रोल (Roll – एक तरफ झुकना), और यॉ (Yaw – नाक दाएं-बाएं घुमाना)। यह नियंत्रण पंखों और पूँछ पर लगे विशेष सतहों से होता है:
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एलेरॉन (Ailerons): ये पंखों के पिछले हिस्से में लगे होते हैं और रोल की गति को नियंत्रित करते हैं। एक पंख का एलेरॉन ऊपर और दूसरे का नीचे जाने से विमान झुकाव के साथ मुड़ता है।
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एलिवेटर (Elevators): ये पूँछ के क्षैतिज स्टेबिलाइज़र पर लगे होते हैं और पिच को नियंत्रित करते हैं। एलिवेटर के ऊपर उठने से विमान की नाक ऊपर होती है और नीचे जाने से नाक नीचे होती है।
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रडर (Rudder): यह पूँछ के ऊर्ध्वाधर स्टेबिलाइज़र पर लगा होता है और यॉ को नियंत्रित करता है। रडर के दाएं या बाएं घूमने से विमान की नाक उसी दिशा में मुड़ती है।
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फ्लैप्स (Flaps): ये पंखों के पिछले हिस्से के अंदरूनी भाग में लगे होते हैं। टेकऑफ़ और लैंडिंग के दौरान इन्हें बाहर निकाला जाता है जिससे पंख का क्षेत्रफल और वक्रता बढ़ जाती है। इससे अधिक लिफ़्ट पैदा होती है और विमान कम रफ्तार में भी सुरक्षित रहता है।
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स्पॉयलर्स (Spoilers): ये पंखों की ऊपरी सतह पर लगे होते हैं। जब ये उठते हैं तो हवा के प्रवाह को बाधित करके लिफ़्ट को कम करते हैं। इससे विमान को ऊंचाई कम करने, उतरने के बाद गति कम करने और जमीन पर दौड़ने के दौरान ब्रेक लगाने में मदद मिलती है।
💡 हवाई सफर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
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हवाई सफर में असुविधा: कुछ लोगों को हवाई यात्रा के दौरान उड्डयन अस्वस्थता हो सकती है, जो एक प्रकार की मोशन सिकनेस है। इसमें सिरदर्द और चक्कर आने जैसे लक्षण महसूस होते हैं।
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सस्ती हवाई यात्रा: भारत में, क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना के तहत कुछ छोटे मार्गों पर हवाई सफर का किराया केवल 150 रुपये से शुरू होता है, जैसे असम में लीलाबाड़ी से तेजपुर का मार्ग।












