भारत में पायलटों की कमी दूर करने के लिए ‘एयर इंडिया’ बड़ी प्लानिंग कर रही है। दरअसल, हाल ही में, एयर इंडिया ने एक प्लेसमेंट फर्म के माध्यम से बोइंग 777 बेड़े पर अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विदेशी पायलटों को नियुक्त करने की योजना बनाई है और इसी के अंतर्गत अब पायलटों को बेहतर वेतन, आकर्षक शर्तों और उदार लाभों की पेशकश की जा रही है।

क्या है सरकार का रुख ?

• भारत सरकार ने हमेशा से इंकार किया है कि भारत में पायलटों की कमी है। हालांकि, सरकार ने ये माना है कि कुछ विशेष प्रकार के विमानों के लिए कमांडर की मामूली कमी है और इसके प्रबंधन के लिए विदेशी पायलटों की सेवाएं ली जा रही हैं।

• 28 जुलाई 2022 को राज्यसभा में यह जानकारी दी गई कि, ‘भारत में पायलटों की कमी नहीं है। हालांकि, कुछ विशेष प्रकार के विमानों के लिए कमांडर की मामूली कमी है और इसके प्रबंध हेतु विदेशी हवाई कर्मी दल अस्थायी अधिकार-पत्र (FATA) जारी करके, विदेशी पायलट की सेवा ली जा रही है।

• भारत में एयरलाइंस के साथ कार्यरत 9,000 से अधिक पायलटों की तुलना में 30 जून, 2022 तक भारत में 82 FATA-धारक थे।

• नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2019 के दौरान कुल 744 वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस (CPL) जारी किए गए थे, जो वर्ष 2020 में घटकर 578 रह गए। हालांकि, वर्ष 2021 में यह संख्या बढ़कर 862 और 30 जून, 2022 तक 699 हो गई।

देश में पायलटों की जरूरत

• सरकार का अनुमान है कि भारत को अगले पांच वर्षों में सालाना 1,000 से अधिक पायलटों की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना ​​है कि देश में पर्याप्त पायलट प्रशिक्षण बुनियादी ढांचे का अभाव है।

• जून 2022 में, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने पांच हवाई अड्डों, भावनगर (गुजरात), हुबली (कर्नाटक), कडप्पा (आंध्र प्रदेश), किशनगढ़ (राजस्थान) और सलेम (तमिलनाडु) में छह और उड़ान प्रशिक्षण संगठनों (FTO) स्लॉट के लिए अनुबंध प्रदान किए। बता दें कि वर्तमान में, भारत में 32 कार्यात्मक एफटीओ हैं।

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