ट्रैवल पोस्ट :-Henley Passport Index : 2025 की सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट रैंकिंग जारी हो चुकी है, जिसमें सिंगापुर का पासपोर्ट दुनिया का सबसे ताकतवर पासपोर्ट बना है। सिंगापुर के पासपोर्ट धारक 195 देशों में वीजा-फ्री यात्रा कर सकते हैं। इस रैंकिंग में भारतीय पासपोर्ट 85वें स्थान पर है, जबकि 2024 में यह 80वें स्थान पर था।
पासपोर्ट की ताकत कैसे तय होती है?
शक्तिशाली पासपोर्ट का मतलब है कि उसे रखने वाले व्यक्ति को कितने देशों में वीजा-फ्री या वीजा-ऑन-अराइवल की सुविधा मिलती है। यह रैंकिंग हेनले ग्लोबल कंपनी द्वारा तैयार की जाती है, जो इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के विशेष डेटा का उपयोग करती है। हेनले ग्लोबल पासपोर्ट डेटाबेस में कुल 199 देशों को शामिल किया जाता है।
पासपोर्ट की रैंकिंग तय करने वाले मुख्य फैक्टर
- अर्थव्यवस्था का स्तर:
देश की जीडीपी जितनी बेहतर होगी, उतने अधिक देशों में वीजा-फ्री यात्रा की सुविधा होगी। - राजनीतिक स्थिरता:
मजबूत और स्थिर राजनीतिक सिस्टम वाले देशों का पासपोर्ट उच्च रैंक पर होता है। यह दर्शाता है कि देश शांतिपूर्ण और पर्यटकों के लिए सुरक्षित है। - कूटनीतिक संबंध:
जिन देशों के दूसरे शक्तिशाली पासपोर्ट धारकों के साथ अच्छे संबंध होते हैं, उनका पासपोर्ट मजबूत माना जाता है। यह दिखाता है कि देश विदेशी पर्यटकों और निवेशकों के लिए भरोसेमंद है। - आतंकवाद और हिंसा का स्तर:
आतंकवाद, हिंसा, और अस्थिरता देश की छवि खराब करती है। यह पासपोर्ट रैंकिंग को गिराने का एक प्रमुख कारण है।
पासपोर्ट मजबूत होने के फायदे
- लोगों के लिए सुविधा:
मजबूत पासपोर्ट धारक अधिक देशों में वीजा-फ्री यात्रा कर सकते हैं। - आर्थिक लाभ:
ऐसा देश पर्यटकों और निवेशकों को आकर्षित कर अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है। - रोजगार के अवसर:
निवेश बढ़ने से रोजगार के अवसर बढ़ते हैं, जिससे समृद्धि और विकास होता है।
भारत की स्थिति
भारत इस रैंकिंग में 85वें स्थान पर है। हालांकि यह पिछले साल के 80वें स्थान की तुलना में नीचे खिसक गया है, लेकिन भारतीय पासपोर्ट से 57 देशों में वीजा-फ्री यात्रा संभव है।
निष्कर्ष:
शक्तिशाली पासपोर्ट किसी देश की आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता को दर्शाता है। सिंगापुर का पासपोर्ट दुनिया में सबसे मजबूत है, जबकि भारतीय पासपोर्ट धारक भी 57 देशों में बिना वीजा यात्रा का लाभ उठा सकते हैं।
