नई दिल्ली (ट्रेवल पोस्ट) Pilot Route : आज भी हम कितने भी बड़े क्यों ना हो जाए, आसमान में जहाज देखने के बाद हमेशा ये जरूर सोचते हैं, आखिर ये जहाज जा कहां रहा होगा या फिर ये कितनी ऊंचाई तक और जाएगा। कभी आपके दिमाग में ये सवाल आया है आखिर पायलट को रास्ता कैसे पता चलता है, क्योंकि आसमान में सारे रूट तो एक ही जैसे दिखते हैं, तो फिर पायलट ऐसा क्या जादू करता है, जिसकी वजह से लोग अपने डेस्टिनेशन पर समय के साथ पहुंच जाते हैं। तो चलिए जानते हैं आखिर पायलट को कैसे सही रास्ते का पता चलता है।
कैसे पता लगता है रास्ता?
जब पायलट एरोप्लेन को उड़ाता है, तो उससे रेडियो और रेडार के उपयोग से रास्ते को बताते हैं। इसके अलावा एयर ट्रैफिक कंट्रोल होता है, जो पायलट को जानकारी देता है कि किस दिशा में उन्हें जाना है और कहां नहीं जाना है। हालांकि, अब तकनीक मॉडर्न हो गई हैं, कई तरह से मीटर आ गए हैं, जिससे रास्ते का पता लगा सकते हैं। अगर आप प्राचीन समय की बात करें, तो पहले पायलट रास्ते का पता जमीन, पहाड़, मकान और रेलवे लाइन को देखकर लगाया करते थे, जिसमें सेंसर लगते थे।
Pilot Route : क्या होती है HSI तकनीक
पायलट का सही रास्ता दिखाने के लिए HSI यानी होरिजेंटल सिचुएशन इंडिकेटर का इस्तेमाल होता है। बता दें इसे देखकर पायलट को बड़े ही आसानी से पता चल जाता है कि कहां जाना है। साथ ही, ये कम्प्यूटर हर जगह की स्थिति अक्षांश और देशांतर को अच्छे से नापने का भी काम करती है। इस वजह से इसमें दुनिया के कई एयरपोर्ट के निर्देशांक भी कम्प्यूटर से भरे हुए होते हैं और एक रेखा की तरह रास्ता दिखाने का भी काम करते हैं।
